Saturday 2 February 2013

You and Me






थोडा और  पकाओ  वक़्त से , 
थोड़ी और चोटें करो कल्पना की .
उतर आएगा चाँद भी .
नहीं तो, खाबों की शक्ल भी क्या कम रूमानी है !

3 comments:

  1. नहीं तो, खाबों की शक्ल भी क्या कम रूमानी है ! mashaallah!

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