वो सिलसिला , तुम्हारे आने जाने का
थम गया था उस बारिश के बाद
उस शाम जब छोड़कर गए थे तुम
हवा नम थी , सबकुछ भारी सा था
शायद तुम्हारे क़दमों की आहट भी.
सब कुछ बर्बाद हुआ है इस तलक!
बीते वक़्त के साथ उसमे सीलन लग चली है.
मुद्दतें गुजरीं,
ना तुम आये न बारिश
पर नमीं गयी नहीं ,शायद!! , उन गड्ढों से
और वो शाम जवां न हो पाई फिर
इंतज़ार था उसे भी शायद किसी का......
तभी तो , गहरे निशां पड़े थे
पैरों के,लॉन की जमीन पर.......
बारिश का मटमैला पानी जमा हो गया था उन गड्ढो में
रिसता हुआ उतर गया है ....
रूह की घाटियों से लेकर आँखों के छितिज तक.
पैरों के,लॉन की जमीन पर.......
बारिश का मटमैला पानी जमा हो गया था उन गड्ढो में
रिसता हुआ उतर गया है ....
रूह की घाटियों से लेकर आँखों के छितिज तक.
शर्ट की बायीं जेब में ,
एक तस्वीर जो छुपा रखी थी...
तुम्हारी नजरो से ,एक तस्वीर जो छुपा रखी थी...
बीते वक़्त के साथ उसमे सीलन लग चली है.
वो गड्ढे आज भी नजर आते हैं आँखों में
सहेज रखा है तेरी यादों की तरह
धुंधली! धब्बेदार!
गोया चाँद हो मेरी रातों का....
मुद्दतें गुजरीं,
ना तुम आये न बारिश
पर नमीं गयी नहीं ,शायद!! , उन गड्ढों से
और वो शाम जवां न हो पाई फिर
इंतज़ार था उसे भी शायद किसी का......
मेरी तरह !!
Loved it ! Absolute gem, bhaishaab! Gulzar shaab dikh gaye aapki pehli hi hindi kavita me. Natmastak! :)
ReplyDeletebahut badi baat kah dee bhai dhanyabad :)
ReplyDeletesuperbly written...Gulzaar saab ka asar dikh rha hai!! keep writting more hindi poems :)
ReplyDeleteIts great hear that from a die hard Gulzar saab fan :)
DeleteDhanyabad :)
It was so heart touching that i read it in one breath..!
ReplyDeleteHeld your breath ...
Deleteheart touching
thats what a poem is meant to do
Transformation ...
great to hear that from u :)