Tuesday, 27 November 2012

The Last Rain!




वो  सिलसिला , तुम्हारे आने जाने का 
   थम गया था उस बारिश के बाद 
उस शाम जब छोड़कर गए थे तुम 
                                ये  मकाँ
हवा नम  थी , सबकुछ भारी सा था 
 शायद तुम्हारे क़दमों की आहट भी. 


तभी तो , गहरे निशां  पड़े थे  
       पैरों के,लॉन  की जमीन पर....... 
बारिश का मटमैला पानी जमा हो गया था उन गड्ढो में 
रिसता हुआ उतर गया है ....
रूह की घाटियों से लेकर आँखों के छितिज तक.


सब कुछ बर्बाद हुआ है इस तलक!
शर्ट की बायीं जेब में ,
 एक तस्वीर जो छुपा रखी थी...
     तुम्हारी नजरो से ,
बीते वक़्त के साथ उसमे सीलन लग चली है.


वो गड्ढे आज भी नजर आते हैं आँखों में 
सहेज रखा है तेरी यादों की तरह 
धुंधली! धब्बेदार! 
गोया चाँद हो मेरी रातों का....


मुद्दतें गुजरीं, 
ना तुम आये न बारिश 
पर नमीं गयी नहीं ,शायद!! , उन गड्ढों से 
और वो शाम जवां न हो पाई फिर 
इंतज़ार था उसे भी शायद किसी का...... 

 मेरी तरह !!